भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान मची भगदड़ की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। ताजा मामला मेरठ का है, जहां शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024 को पंडित प्रदीप मिश्रा के ‘शिव महापुराण कथा’ कार्यक्रम में भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई और कई श्रद्धालु घायल हो गए। इनमें महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हैं। घटना शताब्दी नगर में उस समय हुई जब आयोजन स्थल की क्षमता से अधिक लोग जुट गए और सुरक्षा कर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के प्रयास में प्रवेश बंद कर दिया।
अन्य घटनाओं की याद दिलाती मेरठ की भगदड़
यह पहली बार नहीं है जब किसी धार्मिक कार्यक्रम में ऐसी भगदड़ मची हो। कुछ साल पहले हरिद्वार के कुंभ मेले में भी इसी तरह की भीड़ के कारण भगदड़ मच गई थी, जिसमें कई लोग घायल और कुछ मृत हो गए थे। इसके अलावा महाराष्ट्र के शिरडी और राजस्थान के पुष्कर मेले में भी इसी तरह की घटनाएं देखने को मिली हैं। हर बार एक ही बात सामने आती है – भीड़ प्रबंधन में कमी और आयोजकों की तरफ से आवश्यक सुरक्षा उपायों का अभाव।
घटना की विस्तार से जानकारी
मेरठ की इस भगदड़ में घायलों की संख्या अधिक हो सकती थी, लेकिन सौभाग्य से आपातकालीन सेवाएं समय पर पहुंच गईं और घायलों को पास के अस्पताल में ले जाया गया। प्रशासन के अनुसार, भगदड़ तब मची जब निजी सुरक्षा कर्मियों और श्रद्धालुओं के बीच बहस हो गई।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, ध्रुव कांत ठाकुर के अनुसार, घटना में किसी की मृत्यु नहीं हुई है, और प्रशासन ने इस बात की पुष्टि की है कि स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया है। कार्यक्रम के अंतिम दिन जुटी भीड़ ने स्थल की क्षमता से कहीं अधिक लोगों को आकर्षित किया था।
सबक: कब सुधरेगा भीड़ प्रबंधन?
हर बार भगदड़ की घटनाओं के बाद सवाल उठता है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों रहती है। क्या आयोजकों को यह एहसास नहीं है कि अधिक भीड़ से जान-माल का खतरा बढ़ता है? समय आ गया है कि प्रशासन और आयोजक मिलकर एक ठोस रणनीति बनाएं, जिसमें भीड़ को नियंत्रित करने के बेहतर उपाय और अधिक पुलिस बल की तैनाती शामिल हो।
अंततः, यह हादसे हमें सिखाते हैं कि धार्मिक आस्था की सुरक्षा के लिए हमें भीड़ प्रबंधन में सुधार की दिशा में गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं करने पर हम फिर किसी और धार्मिक आयोजन में इसी तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति देख सकते हैं।
मेरठ में ‘शिव महापुराण कथा’ में मची भगदड़, कई घायल – कब सुधरेगी धार्मिक आयोजनों की अव्यवस्था?
