भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड संयंत्र में बचे जहरीले कचरे के निपटान को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। हाल ही में इस कचरे को मध्यप्रदेश के धार जिले के पीथमपुर में जलाने की योजना के विरोध में स्थानीय निवासियों और संगठनों ने प्रदर्शन किए, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने इस प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
एनजीटी में याचिका दायर
भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल बेंच में याचिका दायर कर मांग की है कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का निपटान वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से किया जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान में प्रस्तावित विधि से पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन
मध्यप्रदेश के धार जिले के पीथमपुर में इस कचरे को जलाने की योजना के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जहरीले कचरे को उनके क्षेत्र में लाने से वहां के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस प्रक्रिया को फिलहाल रोकने का निर्णय लिया है।
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री ने कहा है कि जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कचरे के निपटान की प्रक्रिया को स्थगित किया गया है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
भविष्य की दिशा
भोपाल गैस त्रासदी के बाद बचे जहरीले कचरे का सुरक्षित और स्थायी निपटान एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। सरकार और संबंधित एजेंसियों के सामने चुनौती है कि वे वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करते हुए पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करें।