आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास ने एक बार फिर दुनिया भर में चर्चा छेड़ दी है। Google DeepMind के वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि 2030 तक एआई मानवीय स्तर की सोच और समझ हासिल कर सकता है। हालांकि, इसके साथ एक गंभीर चेतावनी भी जुड़ी हुई है — अगर सही दिशा में नहीं संभाला गया तो एआई मानवता के अस्तित्व को भी खतरे में डाल सकता है।
DeepMind के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, तेजी से विकसित हो रहे एआई मॉडल्स में भावनाओं, तर्कशक्ति और निर्णय क्षमता जैसी मानव-समान विशेषताएं आने लगी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एआई के अत्यधिक शक्तिशाली हो जाने से “नियंत्रण का संकट” पैदा हो सकता है। ऐसे में एआई अपने उद्देश्यों को मानव हितों के खिलाफ भी स्थापित कर सकता है।
73% तक मानवीय व्यवहार अपना सकते हैं एआई मॉडल्स
एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक हालिया शोध में पाया गया है कि आधुनिक एआई मॉडल्स 73% सटीकता के साथ मानव जैसी पर्सनैलिटी अपनाने में सक्षम हो चुके हैं। इसका मतलब है कि एआई अब न केवल इंसानों की तरह सोचने लगा है, बल्कि उनके व्यवहार और प्रतिक्रियाओं की नकल भी करने लगा है।
शोधकर्ताओं ने AI के बिगड़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई है, खासकर तब जब एआई के फैसलों पर मानव का कोई सीधा नियंत्रण नहीं रहेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि एआई मॉडल अब न केवल समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, बल्कि खुद से निर्णय भी ले सकते हैं — जो भविष्य में एक बड़ा जोखिम बन सकता है।
नियंत्रण और नीति निर्माण की बढ़ती जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते एआई पर उचित नियंत्रण नहीं लगाया गया तो यह मानव सभ्यता के लिए खतरा बन सकता है। इस दिशा में नीति निर्माण, नैतिकता के दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है। बड़े तकनीकी संगठनों और सरकारों को मिलकर एक वैश्विक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है ताकि एआई के विकास को मानवता के हित में सुरक्षित रखा जा सके।
एआई तकनीक एक ओर जहां दुनिया के भविष्य को आकार दे सकती है, वहीं दूसरी ओर यदि समय पर सावधानी नहीं बरती गई तो यह उसी भविष्य को खतरे में भी डाल सकती है। 2030 तक एआई में इंसानी जैसी बुद्धिमत्ता देखने को मिल सकती है, लेकिन सवाल यही है — क्या हम इसके लिए तैयार हैं?