1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद भारतीय शेयर बाजार में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। सेंसेक्स में 500 अंकों की गिरावट आई, जबकि निफ्टी भी नकारात्मक रुख के साथ बंद हुआ। इस गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, जो निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा रहे हैं।
1. पूंजीगत व्यय में अपेक्षाकृत मामूली वृद्धि
बजट 2025-26 में सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए 11.21 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। हालांकि, यह वृद्धि पिछले वर्षों की तुलना में कम मानी जा रही है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमेंट कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है। लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के शेयर में 3.4% की गिरावट दर्ज की गई, जो तीन महीनों में सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है। इसके अलावा, अल्ट्राटेक, अंबुजा सीमेंट्स, डालमिया भारत और श्री सीमेंट जैसे प्रमुख सीमेंट निर्माताओं के शेयरों में भी गिरावट देखी गई।
2. विदेशी निवेशकों की निरंतर बिकवाली
पिछले कुछ महीनों से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जनवरी 2025 में, उन्होंने लगभग 69,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा है। FII की इस गतिविधि ने बाजार की धारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
3. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं, जैसे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव और डॉलर इंडेक्स में वृद्धि, ने निवेशकों की धारणा पर असर डाला है। इन कारकों के कारण निवेशक जोखिम से बचने के लिए अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
4. बजट में उपभोक्ता खर्च पर जोर
बजट 2025 में सरकार ने उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तिगत कर कटौती की घोषणा की है। हालांकि, निवेशकों को उम्मीद थी कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर अधिक ध्यान देगी। इस असंतुलन के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर और संबंधित क्षेत्रों के शेयरों में गिरावट आई है।
5. तिमाही परिणामों में निराशा
कई कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से कम रहे हैं, जिससे निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से, कुछ प्रमुख क्षेत्रों में लाभ में कमी और भविष्य की अनिश्चितताओं ने बाजार में बिकवाली के दबाव को बढ़ाया है।
बजट 2025 के बाद शेयर बाजार में आई गिरावट कई कारकों का परिणाम है, जिसमें पूंजीगत व्यय में अपेक्षाकृत कम वृद्धि, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, बजट में उपभोक्ता खर्च पर जोर, और तिमाही परिणामों में निराशा शामिल हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे बाजार की मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सतर्कता से निवेश निर्णय लें और अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।