64 वर्षीय आयकर कानून में बदलाव: सरकार क्यों ला रही है नया आयकर विधेयक 2025?

भारत सरकार ने हाल ही में 64 वर्ष पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने के लिए नए आयकर विधेयक 2025 को प्रस्तुत किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विधेयक को संसद में पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, आधुनिक और विवाद रहित बनाना है। यह कदम देश की कराधान प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है, जो वर्तमान आर्थिक परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाने के लिए आवश्यक हो गया था।

आयकर अधिनियम, 1961: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

1961 में लागू किया गया आयकर अधिनियम उस समय की आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार बनाया गया था। पिछले छह दशकों में, भारतीय अर्थव्यवस्था में व्यापक परिवर्तन हुए हैं, जिनमें उदारीकरण, वैश्वीकरण, डिजिटलाइजेशन और सेवा क्षेत्र का विस्तार शामिल हैं। इन परिवर्तनों के साथ, आयकर अधिनियम में भी समय-समय पर संशोधन किए गए, जिससे यह अधिनियम जटिल और व्यापक हो गया। वर्तमान में, इसमें 800 से अधिक पृष्ठ और अनेक प्रावधान शामिल हैं, जो करदाताओं और कर अधिकारियों दोनों के लिए समझने और लागू करने में कठिनाई पैदा करते हैं।

नए आयकर विधेयक 2025 की आवश्यकता क्यों?

  1. सरलीकरण और स्पष्टता: वर्तमान आयकर अधिनियम की जटिलता करदाताओं के लिए अनुपालन में कठिनाई उत्पन्न करती है। नया विधेयक प्रावधानों को सरल और स्पष्ट बनाने का प्रयास करता है, जिससे करदाताओं को अपनी कर देयता को समझने में आसानी होगी।
  2. विवादों में कमी: जटिल प्रावधानों के कारण कर विवादों की संख्या में वृद्धि हुई है। नए विधेयक का उद्देश्य अस्पष्टताओं को दूर करके कानूनी विवादों को कम करना है, जिससे न्यायिक प्रणाली पर भार कम होगा।
  3. आधुनिक आर्थिक गतिविधियों का समावेश: पिछले कुछ दशकों में डिजिटल अर्थव्यवस्था, क्रिप्टोकरेंसी, ई-कॉमर्स आदि जैसे नए आर्थिक क्षेत्रों का उदय हुआ है। नया विधेयक इन आधुनिक आर्थिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए प्रावधानों को शामिल करता है, जिससे कराधान प्रणाली वर्तमान समय के अनुरूप बन सके।
  4. वैश्विक मानकों के साथ तालमेल: अंतर्राष्ट्रीय कर मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए, नए विधेयक में प्रावधानों का समावेश किया गया है, जिससे भारत की कर प्रणाली वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।

नए आयकर विधेयक 2025 की प्रमुख विशेषताएं

  1. प्रावधानों का संक्षिप्तीकरण: नए विधेयक में प्रावधानों की संख्या को कम करके इसे 622 पृष्ठों में समाहित किया गया है, जिससे इसकी जटिलता में कमी आई है।
  2. कर दरों की तालिका: कर दरों को तालिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे करदाताओं के लिए अपनी कर देयता की गणना करना आसान होगा।
  3. आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग: कर अनुपालन और निगरानी के लिए डिजिटल तकनीकों का उपयोग बढ़ाया गया है, जिससे कर प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि होगी।
  4. क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल संपत्तियों का विनियमन: नए विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों के कराधान के लिए स्पष्ट प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में कानूनी स्पष्टता आएगी।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

हालांकि नया आयकर विधेयक कई सुधारों का प्रस्ताव करता है, लेकिन कुछ प्रावधानों को लेकर चिंताएँ भी व्यक्त की जा रही हैं। उदाहरण के लिए, कर अधिकारियों को करदाताओं के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सोशल मीडिया खातों और डिजिटल एप्लिकेशन सर्वरों तक पहुंच प्रदान करने के प्रावधान को लेकर गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित सवाल उठ रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रावधानों के दुरुपयोग की संभावना को देखते हुए उचित सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।

नया आयकर विधेयक 2025 भारत की कराधान प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिनिधित्व करता है। इसका उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, आधुनिक और विवाद रहित बनाना है, जिससे करदाताओं के लिए अनुपालन में आसानी होगी और सरकार के लिए राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी। हालांकि, कुछ प्रावधानों को लेकर उठ रही चिंताओं को दूर करने के लिए उचित सुरक्षा उपायों और स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता होगी, ताकि कर सुधारों का लाभ सभी को मिल सके और कर प्रणाली में विश्वास बढ़े।

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