ऑस्कर अवॉर्ड्स: क्यों कहा जाता है ‘अकादमी अवॉर्ड्स’, कितनी है ट्रॉफी की कीमत और क्या हैं अनोखे नियम?

हर साल जब ऑस्कर अवॉर्ड्स की घोषणा होती है, तो दुनियाभर की निगाहें इस भव्य आयोजन पर टिकी होती हैं। चमक-दमक, बड़े सितारे, ऐतिहासिक स्पीच और शानदार फिल्मों का जश्न – ऑस्कर नाइट का हर पल यादगार बन जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे अकादमी अवॉर्ड्स’ क्यों कहा जाता है? ट्रॉफी की कीमत कितनी होती है? और इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड से जुड़ी कौन-कौन सी दिलचस्प बातें हैं? आइए जानते हैं ऑस्कर अवॉर्ड्स से जुड़ी कुछ बेहद खास जानकारियां।

क्यों कहा जाता है इसे ‘अकादमी अवॉर्ड्स’?

ऑस्कर अवॉर्ड्स का असली नाम ‘अकादमी अवॉर्ड्स ऑफ मेरिट’ है। इसे मूशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज (AMPAS) द्वारा दिया जाता है, जो 1927 में फिल्म इंडस्ट्री के विकास और गुणवत्ता को बनाए रखने के उद्देश्य से बनाई गई थी। यह संस्था दुनियाभर के फिल्ममेकर्स, एक्टर, डायरेक्टर, लेखक और तकनीशियनों की एक समिति है, जो हर साल सर्वश्रेष्ठ फिल्मों और कलाकारों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित करती है।

हालांकि, ऑस्कर’ नाम कैसे पड़ा, इस पर कई कहानियां प्रचलित हैं। सबसे मशहूर कहानी यह है कि AMPAS की लाइब्रेरियन मार्गरेट हेरीक को यह ट्रॉफी उनके अंकल ऑस्कर जैसी लगी, और तभी से इसका यह नाम लोकप्रिय हो गया।

ऑस्कर ट्रॉफी की कीमत कितनी होती है?

ऑस्कर की चमचमाती गोल्डन ट्रॉफी की असली कीमत जानकर आप हैरान रह जाएंगे! यह 24 कैरेट सोने की परत से ढकी होती है और टिन व ब्रॉन्ज से बनी होती है। अगर सिर्फ मटीरियल की बात करें तो इसकी कीमत 400 डॉलर (करीब 33,000 रुपये) के आसपास होती है। लेकिन इसकी असली कीमत इसकी प्रतिष्ठा और इतिहास में छुपी होती है।

हालांकि, अगर कोई विजेता इसे बेचना चाहे तो? यह संभव नहीं है! क्योंकि अकादमी के नियमों के मुताबिक, विजेता को इसे बेचने की अनुमति नहीं होती। अगर कोई इसे बेचना चाहता है, तो पहले अकादमी को मात्र 1 डॉलर में इसे लौटाना होगा।

ऑस्कर अवॉर्ड्स से जुड़े कुछ अनोखे नियम

ऑस्कर सिर्फ एक अवॉर्ड ही नहीं, बल्कि सख्त नियमों वाला एक प्रतिष्ठित सम्मान है। आइए जानते हैं इसके कुछ दिलचस्प और अजीब नियम:

  1. खरीद-फरोख्त पर रोक: ऑस्कर जीतने के बाद अगर कोई इसे बेचना चाहता है, तो पहले इसे सिर्फ 1 डॉलर में अकादमी को लौटाना होगा।
  2. सिर्फ आमंत्रित लोग ही वोट कर सकते हैं: ऑस्कर के लिए वोटिंग प्रक्रिया केवल AMPAS के सदस्यों के जरिए होती है, जिसमें करीब 10,000 से ज्यादा सदस्य शामिल होते हैं।
  3. ‘बेस्ट पिक्चर’ के लिए नॉमिनेशन का खास तरीका: इस कैटेगरी में फिल्मों को रैंकिंग वोटिंग सिस्टम से चुना जाता है, जिससे सुनिश्चित किया जाता है कि सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्म ही जीत पाए।
  4. बिना रिलीज हुई फिल्में नॉमिनेट नहीं होतीं: ऑस्कर में वही फिल्में नॉमिनेट होती हैं, जो एक तय समय सीमा के भीतर लॉस एंजेलेस में रिलीज हुई हों।
  5. स्पीच की समय सीमा: जब कोई विजेता अपनी स्पीच देने मंच पर जाता है, तो उसे ज्यादा समय नहीं दिया जाता। अगर 45 सेकंड से ज्यादा वक्त लिया, तो बैकग्राउंड म्यूजिक बजाकर उसे रोक दिया जाता है!

ऑस्कर से जुड़े कुछ दिलचस्प फैक्ट्स

  • सबसे ज्यादा ऑस्कर जीतने वाली फिल्में: ‘बेन-हर’, ‘टाइटैनिक’ और ‘द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स: द रिटर्न ऑफ द किंग’ – इन तीन फिल्मों ने 11 ऑस्कर जीतकर इतिहास रच दिया।
  • अब तक का सबसे लंबा ऑस्कर शो: 2002 में हुए ऑस्कर अवॉर्ड्स का आयोजन 4 घंटे 23 मिनट तक चला था!
  • पहला ऑस्कर अवॉर्ड: 1929 में आयोजित किया गया था और यह सिर्फ 15 मिनट तक चला था।
  • सबसे ज्यादा बार नॉमिनेट होने वाले कलाकार: ‘मेरिल स्ट्रीप’ को अब तक 21 बार ऑस्कर नॉमिनेशन मिल चुका है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

ऑस्कर अवॉर्ड्स सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि सिनेमा की दुनिया में सबसे बड़ा सम्मान है। यह अवॉर्ड जीतना किसी भी कलाकार या फिल्ममेकर के लिए सपने के सच होने जैसा होता है। इसकी चमक-दमक के पीछे गहरे इतिहास, कड़े नियम और ढेरों रोचक कहानियां छुपी हैं। जब भी अगली बार आप ऑस्कर देखें, तो इन दिलचस्प फैक्ट्स को याद जरूर रखें!

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *