दुनिया भर में कर्ज का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया का कर्ज 102 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है, जिसमें कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश भी शामिल हैं।
$102 Trillion Global Debt in 2024
— World of Statistics (@stats_feed) December 19, 2024
% of world total debt:
🇺🇸 United States: 34.6%
🇨🇳 China: 16.1%
🇯🇵 Japan: 10.0%
🇬🇧 United Kingdom: 3.6%
🇫🇷 France: 3.5%
🇮🇹 Italy: 3.2%
🇮🇳 India: 3.2%
🇩🇪 Germany: 2.9%
🇨🇦 Canada: 2.3%
🇧🇷 Brazil: 1.9%
🇪🇸 Spain: 1.7%
🇲🇽 Mexico: 1.0%
🇰🇷 South Korea:…
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका, पर सबसे अधिक कर्ज है। अमेरिकी फेडरल सरकार का कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो उसकी GDP का लगभग 125% है। यह वैश्विक कर्ज का 34.6% हिस्सा है। चिंता की बात यह है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अच्छे प्रदर्शन के बावजूद कर्ज में वृद्धि हो रही है, जिससे ब्याज भुगतान का बोझ बढ़ रहा है।
दूसरे स्थान पर चीन है, जिस पर वैश्विक कर्ज का 16.1% हिस्सा है। पिछले वर्ष चीन का कर्ज 14.69 ट्रिलियन डॉलर था। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, चीन को हाल के समय में कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
तीसरे स्थान पर जापान है, जिस पर वैश्विक कर्ज का 10% हिस्सा है। पिछले वर्ष जापान का कर्ज 10.79 ट्रिलियन डॉलर था।
भारत इस सूची में सातवें स्थान पर है। पिछले वर्ष भारत पर कुल 3.057 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था, जो वैश्विक कर्ज का 3.2% है। यह कर्ज जर्मनी, कनाडा, ब्राजील और रूस जैसे देशों से अधिक है।
ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील और रूस भी उच्च कर्ज वाले देशों में शामिल हैं। दूसरी ओर, इराक, चिली, चेक गणराज्य, वियतनाम, हंगरी, यूएई, बांग्लादेश, यूक्रेन, ताइवान, रोमानिया, नॉर्वे, स्वीडन, कोलंबिया, आयरलैंड और फिनलैंड पर अपेक्षाकृत कम कर्ज है।
वैश्विक कर्ज का बढ़ता स्तर आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भविष्य में वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है।