देश में वक्फ से जुड़ी संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर एक बड़ा बदलाव आया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को अपनी स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही यह विधेयक अब कानून बन गया है, जिसे वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के नाम से जाना जाएगा।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक 2025?
इस संशोधन कानून का मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना और अनियमितताओं को रोकना है। नए कानून के तहत:
वक्फ बोर्डों की शक्तियों में संतुलन लाया गया है।
वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करना अनिवार्य कर दिया गया है।
विवादित संपत्तियों के दावों की प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है।
गैर-मुस्लिम समुदायों की भूमि को बिना ठोस प्रमाण के वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा।
वक्फ बोर्डों की जवाबदेही तय करने के लिए कानूनी ढांचा मजबूत किया गया है।
संसद में चर्चा और पारित होने का सफर
लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2 अप्रैल 2025 को पारित हुआ था। इसके बाद इसे राज्यसभा में 4 अप्रैल को 12 घंटे तक चली लंबी बहस के बाद मंजूरी मिली। बहस के दौरान पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए, जबकि सरकार ने इसे ‘सुधारात्मक कदम’ बताया।
क्यों है यह कानून महत्वपूर्ण?
भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या लाखों में है और उनका मूल्य अरबों रुपये में आंका जाता है। लंबे समय से वक्फ बोर्डों पर कुप्रबंधन और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं। नए कानून से उम्मीद है कि इन संपत्तियों का सही संरक्षण और उपयोग सुनिश्चित होगा, और जनता का भरोसा बढ़ेगा।
आगे की राह
अब नए अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना होगा। इसके साथ ही वक्फ बोर्डों को अपनी कार्यप्रणाली में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लानी होगी। अगर किसी संपत्ति को लेकर विवाद होता है, तो उसका समाधान नए प्रावधानों के तहत जल्द और निष्पक्ष तरीके से किया जाएगा।