D. Gukesh: सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बनने का सुनहरा सफर

भारत के शतरंज इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। 18 वर्षीय डी. गुकेश ने हाल ही में मौजूदा विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रच दिया और सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उनकी इस अविश्वसनीय उपलब्धि ने उन्हें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में शतरंज प्रेमियों का सितारा बना दिया है।

शुरुआती सफर: छोटी उम्र में बड़ी जीत

डी. गुकेश का जन्म 2006 में चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। उनका शतरंज के प्रति लगाव बचपन से ही दिखने लगा था।

2015: एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप में अंडर-9 वर्ग में जीत हासिल की।
2018: एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप में 5 स्वर्ण पदक जीते, जिनमें क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज श्रेणियाँ शामिल थीं। इसी साल उन्होंने अंडर-12 वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप भी जीती।
2018: 10 मार्च को इंटरनेशनल मास्टर (IM) का खिताब हासिल किया।
2019: महज 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर (GM) बने।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक

गुकेश का खेल लगातार निखरता गया और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बड़ी प्रतियोगिताएँ जीतीं:

2019: 9वें HD बैंक ओपन में उपविजेता रहे।
2020: हिल्लेरोड शतरंज क्लब की 110वीं वर्षगांठ टूर्नामेंट और कांस चेस फेस्टिवल में जीत दर्ज की।
2022: फिडे शतरंज ओलंपियाड में टीम कांस्य और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता।
2023: चेन्नई मास्टर्स टूर्नामेंट में जीत हासिल की।

विश्व चैंपियनशिप का सुनहरा मुकाम

2024 गुकेश के करियर का सबसे महत्वपूर्ण वर्ष साबित हुआ। उन्होंने कनाडा में आयोजित कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर विश्व शतरंज चैंपियनशिप के लिए अपनी जगह पक्की की। इसके बाद, फाइनल मुकाबले में उन्होंने डिंग लिरेन को हराकर विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया।

गुकेश: युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा

गुकेश का सफर दिखाता है कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और अटूट विश्वास से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। उनकी उपलब्धि ने भारत में शतरंज को नई ऊँचाइयाँ दी हैं और युवा खिलाड़ियों को बड़े सपने देखने की प्रेरणा दी है।

गुकेश का यह सफर केवल एक शुरुआत है। आने वाले वर्षों में वह और भी बड़ी ऊँचाइयाँ छूने के लिए तैयार हैं।

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