Shanghai Cooperation Organisation (शंघाई सहयोग संगठन) Kya Hai?
संगठन – शंघाई सहयोग संगठन
अंग्रेजी नाम – Shanghai Cooperation Organisation (SCO)
स्थापना – 15 जून 2001, चीन में
मुख्यालय – बीजिंग, चीन
सदस्य देशों की संख्या – 8
सदस्य देशों के नाम – चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रुस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान
अभी भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर दो दिन यानी 15 और 16 अक्टूबर को पाकिस्तान दौरे पर हैं। वे पाकिस्तान में आयोजित हो रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। भारत और पाकिस्तान के बिगड़े हालातों के कारण करीब एक दशक बाद भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान पहुंचे हैं, इसीलिए इस बैठक में भारत की मौजूदगी की चर्चा विश्वस्तर पर हो रही है।
डॉ. एस जयशंकर के पाकिस्तान दौरे के बारे में जानने से पहले यह जान लीजिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO), इसकी स्थापना और इसके उद्देश्यों के बारे में विस्तार से –
शंघाई सहयोग संगठन (SCO)
शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 15 जून 2001 को चीन में हुई थी। उस समय इसके 5 सदस्य देश थे, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रुस और ताजिकिस्तान, इसलिए इसे शंघाई 5 समूह कहा जाता था। इसके बाद इस समूह में उज्बेकिस्तान को शामिल किया गया और इसका नाम हो गया शंघाई 6 समूह।
भारत कैसे बना एससीओ का सदस्य
2005 में भारत को SCO के पर्यवेक्षक देश का दर्जा दिया गया, जिसके बाद भारत एक पर्यवेक्षक के रूप में बैठकों में हिस्सा लेने लगा। 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और संगठन के सदस्य के रूप में शामिल होने के समझौते पर हस्ताक्षर किए। उसके बाद 9 जून 2017 को भारत और पाकिस्तान दोनों इसके सदस्य के रूप में शामिल हो गए। शंघाई सहयोग संगठन का मुख्यालय चीन के बीजिंग में है।
संगठन के उद्देश्य और महत्व
रूस, चीन और भारत जैसे बड़े देशों के शामिल होने के कारण भौगौलिक और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से यह दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है, जो पूरी दुनिया का करीब 24% कवर करता है। इस संगठन का उद्देश्य यूरेशिया के राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत बनाना है।
शंघाई सहयोग संगठन का भारत के लिए महत्व
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो चीन और पाकिस्तान सहित अन्य देशों के साथ बातचीत और सहयोग को बढ़ावा देता है। यह मंच भारत को वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठाने और आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।