7 जनवरी 2025 को नेपाल-तिब्बत सीमा पर 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे नेपाल, चीन और भारत के कई हिस्सों में व्यापक तबाही हुई। भूकंप का केंद्र नेपाल के लोबुचे से 93 किमी उत्तर-पूर्व में था, जो खुम्बू ग्लेशियर के पास स्थित है और काठमांडू से लगभग 150 किलोमीटर पूर्व में एवरेस्ट बेस कैंप के करीब है।
नेपाल में भूकंप के कारण कम से कम 36 लोगों की मृत्यु हुई और 40 से अधिक लोग घायल हुए हैं। काठमांडू सहित देश के विभिन्न हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे कई इमारतें ढह गईं और संपत्तियों का भारी नुकसान हुआ। नेपाल भूकंप के प्रति संवेदनशील है क्योंकि यह एक प्रमुख भूगर्भीय फॉल्ट लाइन पर स्थित है, जहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है, जिससे हिमालय का निर्माण होता है।
वहीं चीन के अधिग्रहण वाले तिब्बत क्षेत्र में भी भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। स्थानीय समयानुसार मंगलवार सुबह 9:05 बजे शिगात्से में डिंगरी काउंटी में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के बाद मंगलवार दोपहर तक 53 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 62 लोग घायल हो गए हैं। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, अधिकारी भूकंप के प्रभाव का आकलन करने के लिए प्रभावित इलाकों में पहुंच रहे हैं। चीनी एयरफोर्स ने बचाव और राहत काम शुरू किया है, जिसमें चिकित्सा विमान, हेलीकॉप्टर और जमीनी बलों को तैनात किया गया है।
भारत के उत्तर बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, इन क्षेत्रों में किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन लोगों में भय और चिंता का माहौल बना हुआ है।
भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स भी महसूस किए गए, जिनमें सबसे बड़ा 4.4 तीव्रता का था। इस क्षेत्र में भूकंप आना सामान्य है, क्योंकि यह एक प्रमुख भूगर्भीय फॉल्ट लाइन पर स्थित है। पिछली शताब्दी में इस क्षेत्र में कम से कम 6 तीव्रता के 10 भूकंप आ चुके हैं।