जहां एक ओर दुनियाभर के विशेषज्ञ बढ़ती आबादी को लेकर चिंतित हैं, वहीं कम होती आबादी चीन के लिए परेशानी का कारण बन गई है। चीन, जो कभी अपनी विशाल जनसंख्या के लिए जाना जाता था, अब एक गंभीर जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की जनसंख्या में लगातार तीसरे वर्ष गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट न केवल सामाजिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
जनसंख्या में गिरावट के आंकड़े
1. चीन की कुल जनसंख्या 2024 की तुलना में 2025 में लगभग 8,50,000 कम हो गई।
2. जन्म दर में लगातार गिरावट हो रही है।
3. 2024 में प्रति 1,000 लोगों पर केवल 7.5 जन्म दर्ज किए गए, जो विश्व में सबसे कम दरों में से एक है।
गिरावट के प्रमुख कारण
1. एक बच्चे की नीति का प्रभाव:
चीन में 1979 से 2015 तक लागू एक बच्चे की नीति ने दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ा है।
2. शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव:
शहरी क्षेत्रों में जीवनयापन की उच्च लागत के कारण लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं।
3. वृद्ध होती आबादी:
चीन की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जिससे कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या घट रही है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
1. मजदूरों की कमी:
कामकाजी उम्र के लोगों की कमी के कारण उद्योगों और उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रही है।
2. पेंशन और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव:
वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ने से सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर भारी बोझ पड़ रहा है।
3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में कमी:
जनसंख्या में गिरावट से चीन की वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार के प्रयास
1. तीन बच्चों की नीति:
चीन ने 2021 में तीन बच्चों की नीति लागू की, लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम अभी तक नहीं दिखे हैं।
2. प्रोत्साहन योजनाएं:
सरकार बच्चों के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता और कर छूट जैसे उपाय कर रही है।
3. जन जागरूकता:
सरकार जनसंख्या वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चला रही है।
भविष्य की चुनौतियां
चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह जनसंख्या में गिरावट के इस ट्रेंड को कैसे रोके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति जारी रहती है, तो चीन की अर्थव्यवस्था पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।