धरती की ओर बढ़ रहा है 100 मीटर चौड़ा एस्टेरॉयड, मुंबई-कोलकाता जैसे शहरों पर मंडरा रहा संकट!

नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने 100 मीटर चौड़े एस्टेरॉयड 2024 YR4 को लेकर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड दिसंबर 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है, जिससे बड़े पैमाने पर तबाही मचने की आशंका है। संभावित खतरों की सूची में मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों का नाम भी शामिल है। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि टकराव की संभावना कम है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

क्या है एस्टेरॉयड 2024 YR4?
1. यह एक 100 मीटर चौड़ा अंतरिक्ष चट्टान (Asteroid) है।
2. इसे नासा और अन्य स्पेस एजेंसियों द्वारा 2024 के अंत में खोजा गया था।
3. यह लगभग 30,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है।
4. अगर यह पृथ्वी से टकराया तो भारी नुकसान हो सकता है, खासकर महासागरों या घनी आबादी वाले क्षेत्रों में।

वैज्ञानिकों की क्या है राय?
1. नासा के अनुसार, अभी तक इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की सटीक संभावना कम है, लेकिन यह खतरे से बाहर नहीं है।
2. यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) भी इस पर लगातार नजर बनाए हुए है।
3. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह पृथ्वी के बहुत करीब आया तो इसे दूसरी दिशा में मोड़ने की योजना बनाई जा सकती है।

मुंबई और कोलकाता पर क्यों मंडरा रहा खतरा?
1. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकराता है, तो यह महासागरों और तटीय शहरों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर सकता है।
2. मुंबई और कोलकाता जैसे शहर समुद्र तट के करीब स्थित हैं, जिससे वहां सुनामी और भूकंप जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
3. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यदि यह एस्टेरॉयड समुद्र में गिरा तो विशालकाय लहरें उठ सकती हैं, जो कई देशों को प्रभावित कर सकती हैं।

क्या हो रही है सुरक्षा तैयारियां?
1. नासा और ESA इस एस्टेरॉयड की गति और दिशा पर लगातार नजर रख रहे हैं।
2. अगर खतरा बढ़ा, तो DART (Double Asteroid Redirection Test) जैसी तकनीकों से इसे पृथ्वी से दूर करने की योजना बनाई जा सकती है।
3. नासा पहले ही DART मिशन के जरिए एक एस्टेरॉयड की दिशा बदलने में सफलता प्राप्त कर चुका है।

2032 में पृथ्वी से टकराने वाले इस एस्टेरॉयड को लेकर वैज्ञानिकों की सतर्कता बनी हुई है। हालांकि, फिलहाल टकराव की संभावना कम है, लेकिन नासा, ESA और अन्य स्पेस एजेंसियां इसे गंभीरता से मॉनिटर कर रही हैं। अगर कोई खतरा सामने आता है, तो इसे रोकने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।

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