भारत जल्द ही अपना खुद का जनरेटिव AI मॉडल विकसित करने की तैयारी कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और अन्य सरकारी एजेंसियां दस महीनों में इस AI मॉडल को लॉन्च कर सकती हैं। यह मॉडल OpenAI के ChatGPT और चीन के DeepSeek AI जैसी अत्याधुनिक AI टेक्नोलॉजी को टक्कर देगा।
क्या होगा भारत के स्वदेशी AI मॉडल का उद्देश्य?
सरकार का लक्ष्य एक किफायती, सुरक्षित और भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करने वाला AI मॉडल विकसित करना है, ताकि यह छात्रों, शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और सरकारी संस्थानों के लिए उपयोगी साबित हो।
1. किफायती विकल्प: भारत का AI मॉडल कम लागत में उपलब्ध होगा, जिससे यह छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए उपयोगी रहेगा।
2. भारतीय भाषाओं में सपोर्ट: हिंदी, तमिल, बंगाली, मराठी, तेलुगु सहित कई भारतीय भाषाओं में इसका इस्तेमाल संभव होगा।
3. सुरक्षित डेटा: सरकार का कहना है कि यह मॉडल डाटा सुरक्षा और भारतीय यूजर्स की प्राइवेसी को प्राथमिकता देगा।
4. स्वदेशी तकनीक: AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा।
क्यों जरूरी है भारत का अपना AI मॉडल?
1. डेटा सुरक्षा: विदेशी AI प्लेटफॉर्म्स पर डेटा स्टोरेज को लेकर सुरक्षा चिंताएं बनी रहती हैं।
2. भारतीय भाषाओं का सपोर्ट: OpenAI और अन्य विदेशी AI प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से अंग्रेजी और अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में मजबूत हैं, जबकि भारतीय भाषाओं का सपोर्ट सीमित है।
3. कम लागत: मौजूदा AI टूल्स काफी महंगे हैं, जबकि भारत का मॉडल अधिक सुलभ और किफायती होगा।
4. आत्मनिर्भर भारत: भारत AI के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहा है, जिससे विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी।
AI और टेक्नोलॉजी में भारत की प्रगति
भारत पहले ही डिजिटल इंडिया, 5G टेक्नोलॉजी, सुपरकंप्यूटर और क्वांटम कंप्यूटिंग में निवेश कर चुका है। DRDO और अन्य संस्थानों का यह प्रयास AI सेक्टर में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
भारत का स्वदेशी AI मॉडल न केवल ChatGPT और DeepSeek जैसी टेक्नोलॉजी को चुनौती देगा, बल्कि यह डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। आने वाले दस महीनों में इसका प्रोटोटाइप लॉन्च होने की उम्मीद है, जिससे भारतीय टेक्नोलॉजी जगत में बड़ा बदलाव आ सकता है।