अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महत्वपूर्ण व्यापारिक कदम उठाते हुए 12 मार्च से देश में आयातित स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है।
टैरिफ का उद्देश्य और प्रभाव:
राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, यह टैरिफ उन देशों के खिलाफ एक कदम है जो अमेरिकी उत्पादों पर समान शुल्क लगाते हैं। इससे अमेरिकी स्टील और एल्यूमिनियम उद्योगों को सशक्त बनाने और विदेशी डंपिंग को रोकने में सहायता मिलेगी। हालांकि, इस निर्णय से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ने और व्यापार युद्ध की संभावना है, जो वार्षिक $2.1 ट्रिलियन से अधिक के व्यापार को प्रभावित कर सकता है।
प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर प्रभाव:
यह टैरिफ कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील और चीन जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को प्रभावित करेगा। कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25% और चीन से आयातित वस्तुओं पर 10% का टैरिफ लगाया गया है। हालांकि, कनाडा और मैक्सिको को थोड़े समय के लिए मोहलत दी गई है, जिससे नए व्यापारिक समझौतों की संभावना बनी हुई है।
भारत पर संभावित प्रभाव:
भारत अमेरिका को हर साल लगभग $300 करोड़ (लगभग ₹26,250 करोड़) का स्टील निर्यात करता है। हालांकि, भारत अमेरिका का सबसे बड़ा स्टील निर्यातक नहीं है, लेकिन टैरिफ बढ़ने से भारतीय स्टील कंपनियों को झटका लग सकता है। इसके अलावा, एल्यूमिनियम निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
वैश्विक प्रतिक्रिया:
टैरिफ की घोषणा के बाद, यूरोपीय संघ और चीन ने इस कदम की आलोचना की है और संभावित जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने कहा कि यूरोपीय संघ भी ऐसी ही कार्रवाई करेगा और लगाए गए किसी भी शुल्क का जवाब देगा।
अमेरिकी उद्योगों पर प्रभाव:
विश्लेषकों का मानना है कि इस टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि आयातित स्टील और एल्यूमिनियम पर शुल्क बढ़ने से उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होगी। इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियों को उत्पादन लागत बढ़ने से प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी आ सकती है।
अमेरिका द्वारा स्टील और एल्यूमिनियम आयात पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय वैश्विक व्यापार में नई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। यह कदम अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके वैश्विक व्यापार संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन आवश्यक होगा।