स्विस वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग संस्था IQAir की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 42 भारत में स्थित हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के 7 शहर शामिल हैं। इस रिपोर्ट में बिहार का बेगूसराय विश्व का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में PM2.5 की औसत वार्षिक सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों से 10 गुना अधिक पाई गई है। इससे भारत विश्व में तीसरा सबसे प्रदूषित देश बन गया है, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
उत्तर प्रदेश के जिन 7 शहरों को इस सूची में शामिल किया गया है, उनमें लखनऊ, गाज़ियाबाद, हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, वाराणसी और कानपुर प्रमुख हैं। इन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे जनस्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के पीछे औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल और पराली जलाने जैसी गतिविधियाँ प्रमुख कारण हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।
इस रिपोर्ट के प्रकाश में, यह स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसे तत्काल ध्यान और समाधान की आवश्यकता है।
भारत के प्रदूषित शहरों की चिंताजनक स्थिति
IQAir की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। खासकर उत्तर प्रदेश के सात शहरों की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। लखनऊ, गाज़ियाबाद, हापुड़, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, वाराणसी और कानपुर जैसे शहरों में PM2.5 स्तर WHO के मानकों से कई गुना अधिक दर्ज किया गया है।
भारत तीसरा सबसे प्रदूषित देश
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश बन गया है। बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं। भारत के 42 शहरों का विश्व के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल होना देश में बिगड़ती वायु गुणवत्ता की गंभीरता को दर्शाता है।
प्रदूषण के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले प्रमुख कारणों में औद्योगिक उत्सर्जन, बढ़ता ट्रैफिक, निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल, और पराली जलाने जैसी गतिविधियां शामिल हैं। सर्दियों के मौसम में यह स्थिति और अधिक गंभीर हो जाती है, जब हवा की गति कम होने से प्रदूषक तत्व वातावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं।
जनस्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। सांस की बीमारियों, अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग इस प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार और प्रशासन के प्रयास
उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए विभिन्न कदम उठा रहे हैं, जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर कचरा जलाने पर प्रतिबंध, हरित क्षेत्र बढ़ाने की योजनाएं, और उद्योगों पर सख्त निगरानी शामिल है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए और कठोर नीतियों की आवश्यकता है।
भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करने होंगे। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह न केवल पर्यावरण बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी बड़ी चुनौती बन सकता है।