महाकुंभ 2025: प्रयागराज में 58 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी

प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित महाकुंभ में 58.87 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान किया। यह संख्या अमेरिका, रूस और पाकिस्तान की कुल जनसंख्या से अधिक है, जिससे यह महाकुंभ इतिहास का सबसे बड़ा धार्मिक समागम बन गया।

श्रद्धालुओं का अपार सैलाब, रिकॉर्ड तोड़ संख्या

मेला प्रशासन के अनुसार, अंतिम दिन तक कुल 58.87 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। 15 फरवरी तक यह आंकड़ा 50.20 करोड़ था, जबकि अंतिम प्रमुख स्नान पर्व पर 1.16 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे। श्रद्धालुओं की इस अभूतपूर्व संख्या ने महाकुंभ 2025 को ऐतिहासिक बना दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भव्य आयोजन की सफलता पर कहा, “महाकुंभ 2025 न केवल भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि यह विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बना। 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं, जो भारत की संस्कृति और आस्था की अनूठी पहचान को दर्शाता है।”

सुरक्षा और व्यवस्थाओं का सफल संचालन

महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक व्यवस्थाएं की थीं। पुलिस बल, अर्धसैनिक बल और ड्रोन सर्विलांस की सहायता से पूरे आयोजन की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति के बावजूद कुंभ का समापन बिना किसी बड़ी बाधा के हुआ।

अर्थव्यवस्था और पर्यटन को बढ़ावा

इस महाकुंभ ने न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी बड़ा योगदान दिया। प्रयागराज और आसपास के इलाकों में पर्यटन, होटल, परिवहन और स्थानीय बाजारों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई। सरकार के अनुसार, इस आयोजन से हजारों करोड़ की आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न हुईं, जिससे स्थानीय लोगों को भी लाभ मिला।

भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता का वैश्विक संदेश

महाकुंभ 2025 ने एक बार फिर भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक शक्ति को विश्व के सामने रखा। इस ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होकर करोड़ों श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक शांति प्राप्त की और भारत की आध्यात्मिक समृद्धि को अनुभव किया।

प्रयागराज का महाकुंभ 2025 अब तक का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन बनकर समाप्त हो गया है। 58 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इसे ऐतिहासिक बना दिया है। इस आयोजन ने आस्था, संस्कृति और एकता का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसे आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *