अमेरिका ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट से ‘हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते’ जैसी पंक्तियों को हटा दिया है, जिससे चीन में आक्रोश फैल गया है। यह कदम अमेरिका और ताइवान के बीच गहरे होते रिश्तों का संकेत माना जा रहा है। इससे चीन-ताइवान विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है।
चीन पहले से ही ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और अमेरिका की यह नई रणनीति बीजिंग के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।
क्या है पूरा मामला?
1. अमेरिका के विदेश विभाग ने अपनी वेबसाइट से “वाशिंगटन ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है” जैसी ताइवान की स्वतंत्रता से जुड़ी पंक्तियों को हटाया।
2. चीन ने इस कदम पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे ‘भड़काऊ नीति’ करार दिया।
3. अमेरिका का कहना है कि वह ताइवान को समर्थन देना जारी रखेगा, लेकिन चीन के साथ संतुलन बनाए रखेगा।
चीन क्यों है नाराज?
1. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और किसी भी देश द्वारा इसे अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का विरोध करता है।
2. अमेरिका ने अब तक ‘वन चाइना पॉलिसी’ का समर्थन किया था, लेकिन यह बदलाव चीन के लिए चिंता का विषय है।
3. इससे पहले अमेरिका ने ताइवान को हथियारों की आपूर्ति की थी, जिस पर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया था।
अमेरिका-चीन संबंधों पर असर?
1. अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही व्यापार युद्ध और सैन्य तनाव बढ़ा हुआ है।
2. इस नई नीति से अमेरिका-चीन संबंधों में और खटास आ सकती है।
3. चीन ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ा सकता है और अमेरिका के खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है।
अमेरिका द्वारा ताइवान पर अपनी नीति में बदलाव करना एक बड़ा कूटनीतिक संकेत है। इससे न केवल चीन-ताइवान विवाद तेज हो सकता है, बल्कि अमेरिका-चीन संबंधों में भी नया तनाव देखने को मिल सकता है। अब यह देखना होगा कि अमेरिका इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाता है और चीन की प्रतिक्रिया क्या होती है।