क्या नेपाल बनेगा हिंदू राष्ट्र, लेकिन नेपाल में क्यों हो रही योगी आदित्यनाथ की जय-जयकार?

नेपाल में राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन चल रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की वापसी की मांग की। इस बीच, इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें देखे जाने से विवाद खड़ा हो गया है।

क्या है पूरा मामला?
नेपाल में पिछले कुछ समय से हिंदू राष्ट्र की मांग तेज हो रही है। प्रदर्शनकारी नेपाल को फिर से एक हिंदू राष्ट्र घोषित करने और संवैधानिक राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन में भारी भीड़ जुटी, जिसमें कई लोग ‘राजा आऊ, देश बचाऊ’ जैसे नारे लगाते दिखे।

योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों पर बवाल
इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें देखी गईं, जिसके बाद नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी समेत कई अन्य राजनीतिक दलों ने इसे भारत के हस्तक्षेप की तरह देखा और विरोध जताया। नेपाली नेताओं का कहना है कि नेपाल की राजनीति में बाहरी ताकतों का दखल नहीं होना चाहिए।

नेपाल में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग क्यों हो रही है?
नेपाल को 2008 में आधिकारिक रूप से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया था और संवैधानिक राजशाही को समाप्त कर दिया गया था। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से देश में हिंदू राष्ट्र की बहाली और राजशाही की मांग फिर से उठने लगी है।

नेपाल सरकार और कम्युनिस्ट पार्टियों की प्रतिक्रिया
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियों और सरकार ने इन प्रदर्शनों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। उनका कहना है कि नेपाल की प्रगति तभी संभव है जब देश धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक बना रहेगा।

भारत की प्रतिक्रिया
नेपाल में इस मुद्दे को लेकर हो रहे विवाद के बीच भारतीय सरकार ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को लेकर नेपाल में बढ़ते विवाद पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने इसे अनावश्यक विवाद बताया है।

नेपाल में राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की मांग का मुद्दा लगातार तूल पकड़ रहा है। इस बीच, योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों को लेकर जो विवाद हुआ है, वह भारत-नेपाल संबंधों पर भी असर डाल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नेपाल की सरकार इस आंदोलन को कैसे संभालती है और क्या राजशाही की बहाली को लेकर कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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