सुप्रीम कोर्ट के जजों का मणिपुर दौरा – कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना!

मणिपुर में जारी हिंसा के पीड़ितों की स्थिति का जायजा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीशों की एक टीम राज्य का दौरा करेगी। इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है, लेकिन साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि “जब सुप्रीम कोर्ट के जज मणिपुर जा सकते हैं, तो प्रधानमंत्री क्यों नहीं?”

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम
मणिपुर में बीते एक साल से जारी हिंसा और उसके प्रभाव को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने छह न्यायाधीशों की एक टीम गठित की है जो हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा करेगी। इस टीम का उद्देश्य वहां के हालातों की वास्तविक जानकारी लेना और पीड़ितों की समस्याओं को समझना है।

हिंसा से जूझ रहा मणिपुर
मणिपुर में पिछले एक साल से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक झड़पें जारी हैं। इस दौरान सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों को अपने घर छोड़ने पड़े। कई इलाकों में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है।

कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा,
“सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मणिपुर जाकर पीड़ितों से मिल सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी अब तक वहां नहीं गए। यह साफ दिखाता है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही।”

सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “सरकार शुरू से ही मणिपुर की स्थिति पर नजर बनाए हुए है और वहां शांति बहाली के प्रयास जारी हैं।”

क्या होंगे इस दौरे के परिणाम?
1. न्यायिक जांच को मिलेगी मजबूती – सुप्रीम कोर्ट की टीम के दौरे से ग्राउंड रिपोर्ट मिलेगी, जिससे न्यायिक कार्यवाही को गति मिल सकती है।
2. पीड़ितों को मिलेगा न्याय – पीड़ितों की शिकायतों को सर्वोच्च न्यायालय सीधे सुनेगा, जिससे निष्पक्ष कार्रवाई की संभावना बढ़ेगी।
3. सरकार पर दबाव बढ़ेगा – इस दौरे के बाद सरकार पर और अधिक प्रभावी कदम उठाने का दबाव बनेगा।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का मणिपुर दौरा एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। इससे न केवल हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ेगी, बल्कि केंद्र सरकार पर भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का दबाव बनेगा। अब देखना यह होगा कि इस दौरे के बाद मणिपुर में शांति बहाली के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *