Manipur Violence: जानिए मैतेई और कुकी समुदाय के बीच संघर्ष की असली वजह!

मणिपुर में कुछ समय तक शांति रहने के बाद आज फिर हिंसा भड़क गई। आधी रात को कुकी प्रदर्शनकारियों ने बंद का ऐलान किया, जिसके बाद फिर से हिंसा भड़क उठी। राज्य में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच लंबे समय से चल रहे जातीय संघर्ष ने हिंसक रूप ले लिया है। इस संघर्ष के पीछे ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक कारण जुड़े हुए हैं।

क्या है मैतेई और कुकी विवाद?
मणिपुर में दो प्रमुख समुदाय हैं – मैतेई और कुकी।
1. मैतेई समुदाय: यह समुदाय राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 53% है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। यह मुख्य रूप से हिंदू और वैष्णव धर्म को मानते हैं।
2. कुकी समुदाय: यह एक आदिवासी समुदाय है जो मुख्य रूप से मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में रहता है और ईसाई धर्म को मानता है।

संघर्ष की जड़ें क्या हैं?
1. एसटी दर्जा विवाद: मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांग रहा है, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों, शिक्षा और भूमि स्वामित्व में विशेष आरक्षण मिले। इस मांग का कुकी समुदाय विरोध कर रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे पहाड़ी इलाकों में मैतेई समुदाय का दबदबा बढ़ जाएगा।
2. भूमि विवाद: मणिपुर के भूमि कानूनों के अनुसार, घाटी में रहने वाले मैतेई पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी समुदाय को पूरी मणिपुर में जमीन खरीदने की अनुमति है। मैतेई इस नियम में बदलाव चाहते हैं।
3. अवैध घुसपैठ और नार्को-टेररिज्म: सरकार का कहना है कि म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों के कारण राज्य में नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है, जिसका आरोप कुकी समुदाय पर लगाया जाता है।

हिंसा कैसे भड़की?
1. मई 2023 में मैतेई समुदाय को ST दर्जा देने की सिफारिश के बाद कुकी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।
2. दोनों पक्षों के बीच झड़पें हुईं, घरों और धार्मिक स्थलों को जलाया गया।
3. इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और सेना को शांति बहाल करने के लिए तैनात किया गया।

सरकार की प्रतिक्रिया
1. केंद्र सरकार लगातार राज्य शांति बहाल करने की कोशिश कर रही हैं। पिछले दिनों राज्य में फैली अशांति के कारण राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है।
2. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है और दोनों पक्षों को समाधान निकालने के लिए कहा है।

मणिपुर का जातीय संघर्ष सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक जटिल सामाजिक समस्या भी है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सभी समुदाय मिलकर बातचीत करें और सरकार एक निष्पक्ष नीति अपनाए।

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