हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मुगल शासक औरंगजेब को ‘क्रूर शासक’ घोषित करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर अत्याचार किए, मंदिरों को नष्ट किया और जबरन धर्मांतरण करवाया। हिंदू सेना का मानना है कि इतिहास में उसे एक क्रूर आक्रमणकारी के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए, न कि एक नायक के रूप में।
इस बीच, दिवंगत शायर मुनव्वर राणा के बेटे तबरेज राणा के एक बयान ने विवाद को और बढ़ा दिया है। उन्होंने दावा किया कि “अगर औरंगजेब चाहता, तो अपने 48 साल के शासनकाल में पूरे हिंदू समाज को खत्म कर सकता था।” उनके इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कई हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस तरह के बयान देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। वहीं, हिंदू सेना ने औरंगजेब को क्रूर शासक घोषित करने की मांग के साथ-साथ इतिहास की पुस्तकों में इसके पुनर्लेखन की जरूरत बताई है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों की भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। बीजेपी और हिंदू संगठनों ने तबरेज राणा के बयान को ‘विवादास्पद’ और ‘भड़काऊ’ बताया है।
क्या कहता है इतिहास?
इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब के शासनकाल के दौरान कई मंदिरों को ध्वस्त किया गया, हिंदुओं पर जजिया कर लगाया गया और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं सामने आईं। हालांकि, कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि वह एक कट्टर शासक था लेकिन उसकी नीतियां पूरी तरह से धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी थीं।
औरंगजेब को लेकर हिंदू सेना की मांग और तबरेज राणा के बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। इस विवाद के बीच इतिहास के तथ्यों को लेकर बहस छिड़ गई है कि औरंगजेब का असली स्वरूप कैसा था और उसे इतिहास में कैसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।