साल 2025 का पहला चंद्रग्रहण होली के दिन लगने जा रहा है, जिससे इस पर्व का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाएगा। यह खगोलीय घटना 14 मार्च 2025 को घटित होगी और दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगी। इस आंशिक चंद्रग्रहण को लेकर वैज्ञानिकों और ज्योतिषाचार्यों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं। आइए जानते हैं इस चंद्रग्रहण का समय, असर और इससे जुड़ी जरूरी जानकारियां।
कब और कहां दिखेगा यह चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण 14 मार्च 2025 को होली के दिन पड़ेगा। हालांकि, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा का कुछ हिस्सा धरती की छाया में आएगा।
- यह चंद्रग्रहण भारत, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
- भारत में इसे रात के समय देखा जा सकेगा, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश में मान्य होगा।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, यह आंशिक चंद्रग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा पूरी तरह से ढका नहीं जाएगा, बल्कि उसका केवल एक भाग ही अंधेरे में डूबेगा।
क्या होगा चंद्रग्रहण का समय?
भारतीय समयानुसार, चंद्रग्रहण रात में शुरू होगा और कुछ घंटों तक चलेगा। हालांकि, सटीक समय अभी जारी नहीं किया गया है, लेकिन यह होली की रात को प्रभावित करेगा।
- ग्रहण का प्रारंभ: रात लगभग 10:00 बजे
- ग्रहण का मध्य चरण: रात लगभग 11:30 बजे
- ग्रहण समाप्त: रात लगभग 1:00 बजे
धार्मिक दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण का प्रभाव
चंद्रग्रहण को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है। खासकर जब यह किसी बड़े त्योहार के दिन पड़ता है, तो इसकी धार्मिक मान्यताएं और बढ़ जाती हैं।
- ग्रहण काल में पूजा-पाठ वर्जित होता है – मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान मंदिरों के द्वार बंद कर दिए जाते हैं और किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है।
- ग्रहण के समय भोजन न करें – भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन ग्रहण करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस दौरान तुलसी के पत्तों को खाने की चीजों में डालने की सलाह दी जाती है।
- गंगा स्नान और दान-पुण्य का महत्व – ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना और दान देना शुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चंद्रग्रहण का पृथ्वी पर प्रभाव
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पर धरती की छाया पड़ती है।
- इस दौरान चंद्रमा की रोशनी कम हो जाती है और उसका रंग हल्का तांबे के रंग का दिख सकता है।
- कुछ लोगों को ग्रहण के दौरान सिरदर्द या बेचैनी महसूस हो सकती है, जिसे प्लेसिबो इफेक्ट कहा जाता है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रग्रहण का पृथ्वी पर सीधा कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन यह अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय है।
क्या करें और क्या न करें?
चंद्रग्रहण को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और वैज्ञानिक विचार हैं। ऐसे में लोग अलग-अलग परंपराओं का पालन करते हैं।
क्या करें:
✔ ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और शुद्ध भोजन ग्रहण करें।
✔ तुलसी के पत्तों का उपयोग भोजन को शुद्ध रखने के लिए करें।
✔ जरूरतमंदों को दान करें, खासतौर पर अन्न और वस्त्र।
क्या न करें:
✖ ग्रहण के दौरान भोजन करने से बचें।
✖ इस समय मंदिरों में पूजा न करें।
✖ गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचना चाहिए।
होली 2025 पर लगने वाला चंद्रग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी, जिसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। जहां कुछ लोग इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं, वहीं वैज्ञानिक इसे एक सामान्य खगोलीय प्रक्रिया मानते हैं।
ग्रहण को लेकर धार्मिक परंपराओं का पालन करना या न करना व्यक्तिगत आस्था का विषय है, लेकिन यह निश्चित रूप से एक रोमांचक खगोलीय घटना होगी, जिसे खगोलविदों और आम जनता दोनों के लिए देखने का एक अच्छा अवसर माना जा सकता है।