गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का चयन कैसे होता है? जानिए इसके पीछे की रोचक प्रक्रिया

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का मुख्य आकर्षण मुख्य अतिथि होता है, जो न केवल इस विशेष दिन की गरिमा को बढ़ाता है, बल्कि भारत के कूटनीतिक संबंधों और वैश्विक महत्व को भी दर्शाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 26 जनवरी के लिए मुख्य अतिथि का चयन कैसे होता है? इस प्रक्रिया के पीछे कई महत्वपूर्ण पहलू और गहन विचार-विमर्श शामिल होते हैं। आइए जानते हैं इस दिलचस्प प्रक्रिया के बारे में।

मुख्य अतिथि का महत्व

गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चयन भारत की कूटनीतिक रणनीति और वैश्विक संबंधों का प्रतीक होता है। यह अवसर भारत के मित्र देशों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने का एक माध्यम है। मुख्य अतिथि का चयन करते समय भारत न केवल उनके देश के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को ध्यान में रखता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग की संभावनाओं को भी परखता है।

चयन प्रक्रिया: कहां से होती है शुरुआत?

मुख्य अतिथि के चयन की प्रक्रिया महीनों पहले शुरू हो जाती है। इसका पहला कदम विदेश मंत्रालय द्वारा लिया जाता है, जहां संभावित देशों की सूची तैयार की जाती है। इस सूची में उन देशों को शामिल किया जाता है, जिनके साथ भारत के अच्छे राजनयिक संबंध होते हैं या जिन्हें भारत अपने सहयोगी के रूप में देखता है।

कौन लगाता है अंतिम मुहर?

विदेश मंत्रालय द्वारा तैयार की गई संभावित मुख्य अतिथियों की सूची को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) भेजा जाता है। प्रधानमंत्री और उनके सलाहकार इस सूची पर विचार करते हैं और इसके बाद राष्ट्रपति के साथ इस पर चर्चा की जाती है। अंत में प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाती है।

किन बातों का रखा जाता है ध्यान?

मुख्य अतिथि का चयन करते समय कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। इनमें उनके देश के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध, व्यापारिक और सांस्कृतिक सहयोग, क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर उनका रुख और भारत के लिए उनकी विदेश नीति की प्राथमिकताएं शामिल होती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी क्षेत्रीय सहयोग संगठन के प्रमुख को आमंत्रित किया जाता है, तो यह संकेत देता है कि भारत उस क्षेत्रीय गठजोड़ को महत्व देता है।

ऐतिहासिक संदर्भ

गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथियों के रूप में कई प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने शिरकत की है। इनमें यूएसए, रूस, फ्रांस, जापान और ब्राज़ील जैसे देशों के प्रमुख शामिल हैं। इन अतिथियों की उपस्थिति न केवल भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि आपसी सहयोग और विश्वास को भी बढ़ावा देती है।

2025 के मुख्य अतिथि: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति

इस वर्ष के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो होंगे। उनकी यह उपस्थिति भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते रणनीतिक और रक्षा सहयोग को दर्शाती है। राष्ट्रपति प्रबोवो का आमंत्रण भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह भारत के दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2025 में भारत-इंडोनेशिया संबंधों की मजबूती

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना भारत और इंडोनेशिया के बीच बढ़ते संबंधों का प्रमाण है। दोनों देश रणनीतिक सहयोग और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, व्यापार और सांस्कृतिक साझेदारी को भी और मजबूत करने की योजना है।

गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि का चयन एक गंभीर और विस्तृत प्रक्रिया है, जो भारत की कूटनीतिक स्थिति और रणनीति को दर्शाती है। यह समारोह न केवल भारत की सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता है, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देता है कि भारत अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कितना महत्व देता है।

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