‘छावा’ फिल्म रिलीज होने के बाद से ही औरंगजेब और औरंगाबाद, जिसे अब छत्रपति शंभाजी नगर कहा जाता है, को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।
कई संगठन औरंगजेब की कब्र को हटाने की भी मांग कर रहे हैं। वहीं औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा उगने को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक मान्यताओं के बीच, यह मामला एक रोचक विषय बन गया है।
क्या है पूरा मामला?
महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) में स्थित मुगल शासक औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा देखा गया है। हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है और इसे विष्णु भक्ति का प्रतीक माना जाता है। कब्र पर इस पौधे की उपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
तुलसी का पौधा कैसे उगा?
ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब अपना मकबरा बहुत ही साधारण चाहता था और साथ ही उसने कब्र पर सब्ज के पौधे यानी तुलसी का पौधा लगाने की बात कही थी।
क्या कहता है इतिहास?
औरंगजेब के बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी कब्र के निर्माण के लिए टोपियां सिलकर कुछ धन कमाया था और उतने ही धन से उसका यह मकबरा बना था।
वैसे तो मुगलकालीन मकबरे शाही तरीके से बनाए जाते थे, लेकिन औरंगजेब की वसीयत के मुताबिक उसका मकबरा साधारण तरीके से लकड़ी से बनाया गया था। हालांकि 1904-05 में लॉर्ड कर्जन ने इसके मकबरे के आसपास ग्रिड बनवाई और उसकी साज सज्जा का काम किया।
इतिहासकारों के अनुसार औरंगजेब की कब्र पर तुलसी का पौधा उगना सिर्फ एक संयोग नहीं है, अपितु औरंगजेब की अंतिम इच्छा थी, हालांकि उसकी इस अंतिम इच्छा के पीछे का कारण एक शोध की वस्तु हो सकती है। लेकिन औरंगजेब और उसकी कब्र का विवाद आगे चलकर क्या मोड़ लेगा, यह कोई नहीं जानता।