भारत में चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग (Election Commission) और गृह मंत्रालय (Home Ministry) की हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें आधार कार्ड (Aadhaar Card) और वोटर आईडी (Voter ID) को लिंक करने को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। इस बैठक में चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार (CEC Gyanesh Kumar) और यूआईडीएआई (UIDAI) के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
क्या है इस फैसले का उद्देश्य?
चुनाव आयोग के अनुसार, इस कदम का मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान (Bogus Voting), डुप्लिकेट वोटर कार्ड (Duplicate Voter ID) और चुनावी धांधली को रोकना है। आधार से वोटर आईडी लिंक होने से यह सुनिश्चित होगा कि एक नागरिक का सिर्फ एक ही मतदाता पहचान पत्र (EPIC) हो और असली मतदाता को ही मतदान का अधिकार मिले।
कैसे होगा आधार से वोटर आईडी लिंक?
1. ऑनलाइन प्रक्रिया: मतदाता चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट या वोटर हेल्पलाइन ऐप (Voter Helpline App) के माध्यम से अपने आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ सकते हैं।
2. SMS सेवा: आयोग द्वारा एक विशेष SMS सेवा शुरू की जाएगी, जिससे मतदाता अपने मोबाइल से लिंकिंग की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे।
3. ऑफलाइन प्रक्रिया: मतदाता अपने नजदीकी बीएलओ (BLO) कार्यालय या चुनाव आयोग के कैंप में जाकर भी आधार और वोटर आईडी लिंक करा सकते हैं।
कब से लागू होगा यह नियम?
इस फैसले को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। शुरुआत में स्वैच्छिक आधार पर मतदाताओं को अपने आधार को वोटर आईडी से जोड़ने का मौका दिया जाएगा। बाद में इसे अनिवार्य किया जा सकता है, लेकिन अभी इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
क्या होगा अगर आधार लिंक नहीं कराया?
फिलहाल यह प्रक्रिया ऐच्छिक (Voluntary) होगी, लेकिन भविष्य में यह अनिवार्य (Mandatory) हो सकती है। अगर कोई मतदाता अपने आधार को लिंक नहीं कराता है, तो हो सकता है कि उसका नाम मतदाता सूची से हटाने का खतरा बना रहे।
आधार से वोटर आईडी लिंक करने का यह फैसला भारत की चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह प्रक्रिया कितनी सुचारू रूप से लागू होती है और डेटा सुरक्षा को लेकर कितनी पारदर्शिता बरती जाती है।