केंद्रीय बजट 2025-26 में सरकार ने छोटे मूल्य के डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने वाले वित्तीय प्रोत्साहन में भारी कटौती की है। इस बजट में यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के माध्यम से होने वाले लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 437 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले वर्ष के लिए यह रकम 2,000 करोड़ रुपये थी। सरकार की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब डिजिटल भुगतान प्रणाली में बढ़ोत्तरी हो रही है और इससे जुड़ी लागतें भी बढ़ रही हैं।
सरकार ने पिछले साल यूपीआई के प्रोत्साहन के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन इस बार यह रकम महज 437 करोड़ रुपये रखी गई है, जो कि 78 प्रतिशत कम है। इसके बावजूद, यह रकम यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड के प्रोत्साहन के लिए पहले निर्धारित बजट से अधिक है, जिससे इस बदलाव के बावजूद उद्योग को थोड़ी राहत मिल सकती है। वित्त वर्ष 2023 में भी सरकार ने डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 2,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, लेकिन 2024 में यह आंकड़ा घटकर 2,000 करोड़ रुपये रह गया था।
वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी प्रोत्साहन राशि में कमी आने से उद्योग को खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर मिहिर गांधी ने कहा, “यह राशि डिजिटल भुगतान की बढ़ती लागत को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उद्योग को इन लागतों को कवर करने के लिए कम से कम 4 से 5 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।”
यूपीआई लेनदेन में व्यापारी छूट दर (एमडीआर) को लेकर भी नई नीति बनाई गई है। शून्य व्यापारी छूट दर (एमडीआर) के साथ सभी डेबिट यूपीआई लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे भुगतान कंपनियों और बैंकों के लिए लागत का भार बढ़ सकता है। इस प्रोत्साहन के लिए सरकार ने बैंक और डिजिटल भुगतान प्रसंस्करण कंपनियों को भी इस वृद्धि से राहत देने की कोशिश की है।
इस वर्ष के बजट में कुछ स्लैब-आधारित एमडीआर शुल्क को मंजूरी देने पर भी विचार किया गया है, जो यूपीआई पीटुएम लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सहायक हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने से डिजिटल भुगतान क्षेत्र को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है।
इस बीच, यूपीआई के माध्यम से 2024 में कुल 172 अरब रुपये से अधिक के लेनदेन किए गए हैं। ऐसे में सरकार के इस कदम से डिजिटल भुगतान क्षेत्र पर कोई असर नहीं पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन अभी भी प्रोत्साहन में की गई कटौती को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।