“पापा मीडिया ट्रेंड नहीं हैं”: आर अश्विन ने पिता के बयान पर दी सफाई, संन्यास के बीच बयान ने मचाई हलचल

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भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। हालांकि, उनके संन्यास के बाद का दौर भी विवादों से घिरा नजर आ रहा है। इस बार चर्चा का विषय उनका खेल नहीं, बल्कि उनके पिता रविचंद्रन नारायणस्वामी का एक बयान है, जिसने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी।

क्या था विवाद?
अश्विन के पिता ने एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान टीम चयन और अपने बेटे के करियर को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिसे विवादित माना गया। नारायणस्वामी ने अपने बेटे की उपलब्धियों की सराहना करते हुए टीम मैनेजमेंट के कुछ फैसलों पर सवाल खड़े किए। इस बयान को मीडिया ने बड़े स्तर पर रिपोर्ट किया, जिससे विवाद खड़ा हो गया।

अश्विन का बयान
इस मामले को तूल पकड़ता देख, अश्विन ने खुद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए सफाई दी। उन्होंने लिखा:
“मेरे पापा मीडिया ट्रेंड नहीं हैं। उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह उनकी भावनाओं का प्रदर्शन था, लेकिन इसे संदर्भ से बाहर लिया गया। कृपया इसे विवाद न बनाएं।” अश्विन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पिता की टिप्पणी उनके संन्यास या चयन प्रक्रिया से संबंधित नहीं थी। उन्होंने प्रशंसकों और मीडिया से अपील की कि इस मुद्दे को तूल देने के बजाय उनके करियर के योगदान पर ध्यान दें।

संन्यास पर प्रतिक्रियाएं
अश्विन के संन्यास की घोषणा के बाद से ही क्रिकेट जगत में उनके शानदार करियर की सराहना हो रही है। 38 वर्षीय अश्विन ने अपने लंबे और प्रभावशाली करियर में 500 से अधिक टेस्ट विकेट लिए और कई यादगार पारियां खेलीं। उनके संन्यास के फैसले ने उनके प्रशंसकों को भावुक कर दिया, लेकिन वे उनकी अगली पारी का समर्थन कर रहे हैं।

प्रशंसकों की प्रतिक्रिया
अश्विन के इस बयान के बाद प्रशंसकों ने उनके समर्थन में प्रतिक्रिया दी। कई फैंस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि परिवारवालों को इस तरह विवादों में घसीटना सही नहीं है। वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और किसी की बातों को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं करना चाहिए।

हमारी राय:
खिलाड़ियों के परिवारवालों को मीडिया और सोशल मीडिया के दबाव से बचाना बेहद जरूरी है। हर किसी का मीडिया के साथ संवाद करने का तरीका अलग होता है, और परिवारवालों की बातों को गंभीरता से लेने से पहले उनके संदर्भ को समझना चाहिए।

अश्विन का यह बयान एक जरूरी संदेश देता है कि हमें अपने शब्दों और उनके प्रभाव को लेकर संवेदनशील होना चाहिए, खासकर जब बात सार्वजनिक मंचों की हो।

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