दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे सामने आ चुके हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 वर्षों बाद सत्ता में वापसी की है। भाजपा ने 70 में से 48 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीटों से संतोष करना पड़ा। कांग्रेस पार्टी एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही।
अरविंद केजरीवाल की हार:
नई दिल्ली विधानसभा सीट से आप के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भाजपा उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने 3,655 वोटों के अंतर से हराया। प्रवेश वर्मा को 28,238 वोट मिले, जबकि केजरीवाल को 24,583 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित मात्र 4,217 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
मनीष सिसोदिया की पराजय:
जंगपुरा सीट से चुनाव लड़ रहे आप के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह ने 675 वोटों के अंतर से हराया। मारवाह को 38,859 वोट मिले, जबकि सिसोदिया को 38,184 वोट प्राप्त हुए।
आतिशी की संघर्षपूर्ण जीत:
आप की प्रमुख नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी ने कालकाजी सीट से भाजपा के रमेश बिधूड़ी को 2,795 वोटों के अंतर से पराजित किया। आतिशी को 47,267 वोट मिले, जबकि बिधूड़ी को 44,472 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस उम्मीदवार अलका लांबा मात्र 3,803 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।
सौरभ भारद्वाज की हार:
ग्रेटर कैलाश सीट से आप के नेता और मंत्री सौरभ भारद्वाज को भाजपा की शिखा रॉय ने 2,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया। भारद्वाज को 46,231 वोट मिले, जबकि शिखा रॉय को 48,500 से अधिक वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस उम्मीदवार गर्वित सिंघवी 6,677 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
गोपाल राय की जीत:
बाबरपुर सीट से आप के वरिष्ठ नेता और मंत्री गोपाल राय ने भाजपा के अनिल कुमार वशिष्ठ को 22,439 वोटों के अंतर से हराया। राय को 74,405 वोट मिले, जबकि वशिष्ठ को 51,966 वोट प्राप्त हुए। कांग्रेस के मोहम्मद इशराक खान 5,000 से कम वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
अवध ओझा की हार:
पटपड़गंज विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार अवध ओझा को भाजपा प्रत्याशी रविंद्र सिंह नेगी ने बड़े अंतर से हरा दिया है। अवध ओझा करीब 25,000 वोटों के अंतर से यह चुनाव हार चुके हैं। यह हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि पटपड़गंज सीट को पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता था।
चुनाव परिणामों का विश्लेषण:
इन चुनाव परिणामों से स्पष्ट है कि दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। भाजपा ने लंबे अंतराल के बाद सत्ता में वापसी की है, जबकि आप को महत्वपूर्ण नुकसान झेलना पड़ा है। प्रमुख नेताओं की हार-जीत ने दिल्ली की राजनीतिक दिशा को नया मोड़ दिया है।