हीटवेव से बढ़ती मौतें: सरकारी पैनल ने किया राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का सुझाव

भारत में बढ़ती हीटवेव घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों के मद्देनज़र, एक सरकारी पैनल ने हीटवेव को आधिकारिक आपदा घोषित करने की सिफारिश की है। यह कदम आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत हीटवेव को अधिसूचित आपदाओं की सूची में शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।

हीटवेव: परिभाषा और प्रभाव

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में जब तापमान 40°C या उससे अधिक हो जाता है, तो उसे हीटवेव माना जाता है। हीटवेव से निर्जलीकरण, हीट स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जो कभी-कभी घातक सिद्ध होती हैं।

वर्तमान आपदा प्रबंधन ढांचा

वर्तमान में, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत चक्रवात, बाढ़, भूकंप आदि को अधिसूचित आपदाओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। इन आपदाओं के पीड़ितों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। हालांकि, हीटवेव को अभी तक इस सूची में शामिल नहीं किया गया है, जिससे प्रभावित व्यक्तियों को सरकारी सहायता प्राप्त करने में कठिनाई होती है।

हीटवेव को अधिसूचित आपदा घोषित करने की आवश्यकता

हीटवेव की बढ़ती तीव्रता और आवृत्ति को देखते हुए, इसे अधिसूचित आपदा घोषित करना आवश्यक हो गया है। यह कदम सरकारी एजेंसियों को हीटवेव से निपटने के लिए बेहतर संसाधन आवंटित करने, शमन रणनीतियाँ विकसित करने और प्रभावी कार्य योजनाएँ बनाने में सहायता करेगा। इसके अलावा, इससे प्रभावित व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में भी सुविधा होगी।

चुनौतियाँ और आगे की राह

हीटवेव को अधिसूचित आपदा घोषित करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे वित्तीय बोझ और मृत्यु के सटीक कारण का निर्धारण। हालांकि, उचित नीति निर्माण और कार्यान्वयन के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि हीटवेव से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

सरकारी पैनल की यह सिफारिश हीटवेव को आधिकारिक आपदा घोषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश में आपदा प्रबंधन को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगा।

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