बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी, जो कभी अपने ग्लैमरस अंदाज़ और चर्चित फिल्मों के लिए जानी जाती थीं, अब एक नए रूप में सामने आई हैं। ममता कुलकर्णी ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्होंने किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर की उपाधि क्यों स्वीकार की। उनके अनुसार, यह सब माँ काली की प्रेरणा और उनके आदेश का परिणाम है।
आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
ममता कुलकर्णी ने अपने फिल्मी करियर को अलविदा कहने के बाद आध्यात्मिकता की ओर रुख किया। उन्होंने बताया कि फिल्मी दुनिया की चकाचौंध और शोहरत के बावजूद, उन्हें हमेशा एक गहरी शांति की तलाश थी। इसी खोज के दौरान, उन्होंने माँ काली की उपासना शुरू की, जो उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आई।
उन्होंने बताया, “माँ काली ने मुझे आदेश दिया कि मैं मानवता की सेवा करूं और समाज में बदलाव लाने के लिए काम करूं। उनके आदेश का पालन करते हुए, मैंने अपने जीवन को अध्यात्म और धर्म के प्रति समर्पित कर दिया।”
किन्नर अखाड़ा से जुड़ाव
किन्नर अखाड़ा, जो समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों और सम्मान के लिए कार्य करता है, ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की उपाधि दी। इस पर ममता ने कहा, “यह मेरे लिए एक सम्मान और जिम्मेदारी है। माँ काली की प्रेरणा से मैंने यह भूमिका स्वीकार की। मैं समाज में समानता और ट्रांसजेंडर समुदाय को उनकी पहचान दिलाने के लिए काम करूंगी।”
फिल्मी करियर से अध्यात्म तक
1990 के दशक में ममता कुलकर्णी ने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें करण अर्जुन, बाजी, और आशिक आवारा शामिल हैं। अपनी बेहतरीन अदाकारी और स्टाइल से उन्होंने दर्शकों का दिल जीता। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली।
ममता ने इस बदलाव पर कहा, “फिल्मी दुनिया ने मुझे बहुत कुछ दिया, लेकिन अंदर से मैं हमेशा अधूरी महसूस करती थी। जब मैंने आध्यात्मिकता की ओर कदम बढ़ाया, तो मुझे जीवन का असली उद्देश्य समझ में आया। अब मेरी कोशिश समाज की भलाई के लिए है।”
समाज के लिए संदेश
ममता कुलकर्णी ने अपने इस नए जीवन से समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उन्होंने कहा, “हर इंसान के जीवन का उद्देश्य केवल धन और प्रसिद्धि नहीं है। सच्ची शांति और खुशी तब मिलती है जब हम दूसरों की भलाई के लिए कुछ करते हैं।”
ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कार्य
ममता अब किन्नर अखाड़ा के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए काम कर रही हैं। वह चाहती हैं कि समाज इस समुदाय को बराबरी का दर्जा दे और उनकी प्रतिभा और अधिकारों को सम्मानित करे।
ममता कुलकर्णी का यह बदलाव प्रेरणादायक है और यह दिखाता है कि जीवन में आध्यात्मिकता कैसे एक नया उद्देश्य दे सकती है।