म्यांमार में हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई है। 7.7 तीव्रता के इस भूकंप से सैकड़ों लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हुए हैं। इमारतें जमींदोज हो गईं, पुल टूट गए, और सड़कों पर मलबा बिखरा पड़ा है। इस संकट की घड़ी में भारत ने पड़ोसी देश की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत भारत ने त्वरित राहत पहुंचाते हुए अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया है।
भारत का ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’
भारतीय वायुसेना का C-130J सुपर हरक्यूलिस विमान यांगून पहुंचा, जिसमें 15 टन से अधिक राहत सामग्री थी। इस सामग्री में टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, सौर लैंप, जनरेटर सेट, जल शुद्धिकरण यंत्र और दवाइयाँ शामिल हैं। राहत सामग्री म्यांमार के अधिकारियों को सौंपी गई, जो इसे प्रभावित क्षेत्रों में वितरित कर रहे हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मानवीय सहायता के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों की मदद के लिए तैयार रहता है। म्यांमार में हुए भूकंप के बाद भारत पहला देश था जिसने सहायता पहुंचाई।
प्रधानमंत्री मोदी की संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य प्रमुख से बात कर भूकंप से हुई त्रासदी पर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत जरूरत के हर पल में म्यांमार के साथ खड़ा है।
भारत की मानवीय कूटनीति
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने किसी आपदा में पड़ोसी देश की मदद की है। 2015 में नेपाल में आए भूकंप के दौरान भी भारत ने ‘ऑपरेशन मैत्री’ चलाया था, जो सफलतापूर्वक राहत और बचाव कार्य में मददगार साबित हुआ। म्यांमार में ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाता है।
म्यांमार में हालात गंभीर
भूकंप के कारण कई लोग अब भी मलबे में फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की वजह से कठिनाइयाँ आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत की त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना कर रहा है।