इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ‘जजों को होना चाहिए संवेदनशील’

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले पर रोक लगाते हुए कड़ी नाराजगी जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि “किसी लड़की के प्राइवेट पार्ट को छूना या उसके पजामे की डोरी खींचना बलात्कार की परिभाषा में नहीं आता।” इस बयान के सामने आने के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

क्या है पूरा मामला?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने एक केस में टिप्पणी की थी कि किसी के ब्रेस्ट को छूना या पजामे के नाड़े खोलने को बलात्कार नहीं कहा जा सकता। इस टिप्पणी पर देशभर में बवाल मच गया। महिलाओं के अधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे गलत मानसिकता का उदाहरण बताया।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
इस विवाद के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि न्यायाधीशों को ऐसे मामलों में अधिक संवेदनशील होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, “बलात्कार जैसे गंभीर अपराध के मामलों में शब्दों का चयन और मानसिकता बेहद महत्वपूर्ण है।”

कानूनी विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि न्यायालय में ऐसे मामलों पर टिप्पणी करते समय न्यायिक शिष्टाचार का पालन जरूरी है। गलत बयान न केवल पीड़िता को आहत करते हैं बल्कि समाज में भी गलत संदेश देते हैं।

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