वित्तीय वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट कुछ ही दिनों में प्रस्तुत होने वाला है, और ऐसे में करदाताओं के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि नई और पुरानी कर व्यवस्थाओं में क्या अंतर है, ताकि वे अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुन सकें।
पुरानी कर व्यवस्था:
पुरानी कर व्यवस्था में करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूटों का लाभ मिलता है, जैसे कि धारा 80C, 80D, 24B, 80CCD(1), 80CCD(2), 80CCD(1B), 80G, 80TTA, 80TTB आदि। इनके माध्यम से करदाता अपने कर योग्य आय को कम कर सकते हैं, जिससे कर का बोझ घटता है। उदाहरण के लिए, धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का लाभ लिया जा सकता है।
पुरानी कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब:
- ₹2,50,000 तक की आय: कोई कर नहीं
- ₹2,50,001 से ₹5,00,000: 5%
- ₹5,00,001 से ₹10,00,000: 20%
- ₹10,00,001 से अधिक: 30%
वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक) के लिए छूट सीमा ₹3,00,000 है, जबकि अति वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष या उससे अधिक) के लिए यह ₹5,00,000 है।
नई कर व्यवस्था:
वर्ष 2020 में प्रस्तुत की गई नई कर व्यवस्था में कर की दरें कम हैं, लेकिन इसमें अधिकांश कटौतियों और छूटों का लाभ नहीं मिलता। हालांकि, बजट 2023-24 में नई कर व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए हैं, जैसे कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की अनुमति।
नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब:
- ₹3,00,000 तक की आय: कोई कर नहीं
- ₹3,00,001 से ₹6,00,000: 5%
- ₹6,00,001 से ₹9,00,000: 10%
- ₹9,00,001 से ₹12,00,000: 15%
- ₹12,00,001 से ₹15,00,000: 20%
- ₹15,00,001 से अधिक: 30%
नई कर व्यवस्था में, यदि आपकी कुल आय ₹7,00,000 तक है, तो आप किसी भी कर के दायरे में नहीं आएंगे, क्योंकि धारा 87A के तहत आपको पूरी कर छूट मिलेगी। हालांकि, यदि आपकी आय ₹7,00,000 से अधिक है, तो आपको पूरी आय पर कर देना होगा।
कौन सी व्यवस्था चुनें?
नई और पुरानी कर व्यवस्थाओं के बीच चयन करते समय, आपको अपनी आय, निवेश, और खर्चों का मूल्यांकन करना चाहिए। यदि आप विभिन्न कटौतियों और छूटों का लाभ उठाते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए लाभकारी हो सकती है। वहीं, यदि आप कम कर दरों का लाभ लेना चाहते हैं और आपके पास कटौतियों के लिए योग्य निवेश नहीं हैं, तो नई कर व्यवस्था उपयुक्त हो सकती है।
सरकार ने नई कर व्यवस्था को डिफॉल्ट बना दिया है, लेकिन करदाता अपनी सुविधा के अनुसार पुरानी कर व्यवस्था का चयन भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने नियोक्ता या आयकर रिटर्न दाखिल करते समय उचित विकल्प चुनना होगा।
अतः, बजट 2025 से पहले, अपनी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें और समझदारी से कर व्यवस्था का चयन करें, ताकि आप कर बचत का अधिकतम लाभ उठा सकें।